Q 1. कवि ने माली-मालिन किन्हें और क्यों कहा है ?

उत्तर- कवि ने माली-मालिन कृष्ण और राधा को कहा है। क्योंकि कवि राधा-कृष्ण के प्रेममय युग को प्रेम भरे नेत्र से देखा है। यहाँ प्रेम को वाटिका मानते हैं और उस प्रेम-वाटिका के माली-मालिन कृष्ण-राधा को मानते हैं। वाटिका का विकास माली-मालिन की कृपा पर निर्भर है। अत: कवि के प्रेम वाटिका को पुष्पित पल्लवित कृष्ण और राधा के दर्शन ही कर सकते हैं।

 

Q 2. द्वितीय दोहे का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर- प्रस्तुत दोहे में सवैया छन्द में भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अत्यन्त मार्मिक है। सम्पूर्ण छन्द में ब्रजभाषा की सरलता, सहजता और मोहकता देखी जा रही है। कहीं-कहीं तद्भव और तत्सम के सामासिक रूप भी मिल रहे हैं। कविता में संगीतमयता की धारा फूट पड़ी है। अलंकार योजना से दृष्टांत अलंकार के साथ अनुप्रास एवं रूपक का समागम प्रशंसनीय है। माधुर्यगुण के साथ वैराग्य रस का मनोभावन चित्रण हुआ है।

 

Q 3. कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है? कवि का अभिप्राय स्पष्ट करें।

उत्तर- कवि कृष्ण और राधा के प्रेम में मनमुग्ध हो गये हैं। उनके मनमोहक छवि को देखकर मन पूर्णतः उस युगल में रम जाता है। इन्हें लगता है कि इस देह से मन रूपी मणि को कृष्ण ने चुरा लिये हैं। चित्त राधा-कृष्ण के युगल जोड़ी में लग चुका है। अब लगता है कि यह शरीर मन एवं चित्त रहित हो गया है। इसलिए चित्त हरने वाले कृष्ण को चोर कहा गया है। उनकी मोहनी मूरत मन को इस प्रकार चुराती है कि कवि अपनी सुध खो बैठते हैं। केवल कृष्ण ही स्मृति पटल पर अंकित रहते हैं और कुछ भी दिखाई नहीं देता है।

 

 

Q 4. सवैये में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती है? भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करें।

उत्तर- प्रेम-रसिक कवि रसखान द्वारा रचित सवैये में कवि की आकांक्षा प्रकट हुई है। इसके माध्यम से कवि कहते हैं कि कृष्ण लीला की छवि के सामने अन्यान्य दृश्य बेकार हैं। कवि कृष्ण की लकुटी और कामरिया पर तीनों लोकों का राज न्योछावर करने देने की इच्छा प्रकट करते हैं। नन्द की गाय चराने की कृष्ण लीला का स्मरण करते हुए कहते हैं कि उनके चराने में आठों सिद्धियों और नवों निधियों का सुख भुला जाना स्वाभाविक है। ब्रज के वनों के ऊपर करोड़ों इन्द्र के धाम को न्योछावर कर देने की आकांक्षा कवि प्रकट करते हैं।

 

Q 5. व्याख्या करें :

(क) मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।

(ख) रसखानि कबौं इन आँखिन सौ ब्रज के बनबाम तझम निहारौं।

उत्तर-

(क)प्रस्तुत दोहे में कवि राधिका के माध्यम से श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित हो जाना चाहता है। जिस दिन से श्रीकृष्ण से आँखें चार हुई उसी दिन से सुध-बुध समाप्त हो गई। पवित्र चित्त को चुराने वाले श्रीकृष्ण से पलक हटाने के बाद भी अनायास उस मुख-छवि को देखने के लिए विवश हो जाती है। वस्तुत: यहाँ कवि बताना चाहता है कि प्रेमिका अपने प्रियतम को सदा अपने आँखों में बसाना चाहती है।

 

(ख)प्रस्तुत पंक्ति कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा रचित हिंदी पाठ्य-पुस्तक के करील में कुंजन ऊपर वारोंपाठ से उद्धत है। प्रस्तुत पंक्ति में कवि ब्रज पर अपना जीवन सर्वस्थ न्योछावर कर देने की भावमयी विदग्धता मुखरित करते हैं। कवि इसमें ब्रज की बागीचा एवं तालाब की महत्ता को उजागर करते हुए निरंतर उसकी शोभा देखते रहने की आकांक्षा प्रकट करते हैं।

 

प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि ब्रज की बागीचा एवं तालाब अति सुशोभित एवं अनुपम हैं। इन आँखों से उसकी शोभा देखते बनती है। कवि कहते हैं कि ब्रज के वनों के ऊपर, अति रमनीय, सुशोभित मनोहारी मधुवन के ऊपर इन्द्रलोक को भी न्योछावर कर दूँ तो कम है। ब्रज के मनमोहक तालाब एवं बाग की शोभा देखते हुए कवि की आँखें नहीं थकती, इसकी शोभा निरंतर निहारते रहने की भावना को कवि ने इस पंक्ति के द्वारा बड़े ही सहजशैली में अभिव्यक्त किया है। कवि को कृष्ण-लीला स्थल के कण-कण से प्रेम है। कृष्ण की सभी चीजें उन्हें मनोहारी लगती हैं।

 

Q 6. ‘प्रेम-अयनि श्री राधिकापाठ का भाव/सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- प्रेम-अयनि श्री राधिकामें कृष्ण और राधा के प्रेममय रूप पर मुग्ध रसखान कहते हैं कि राधा प्रेम का खजाना है और श्रीकृष्ण अर्थात् नंदलाल साक्षात् प्रेम-स्वरूप। ये दोनों ही प्रेम-वाटिका के माली और मालिन है जिनसे प्रेम-वाटिका खिली-खिली है। मोहन की छवि ऐसी है कि उसे देखकर कवि की दशा धनुष से छूटे तीर के तहत हो गई है। जैसे धनुष से छूटा हुआ तीर वापस नहीं होता, वैसे ही कवि का मत एक बार कृष्ण की ओर जाकर पुनः अन्यत्र नहीं जाता। कवि का मन माणिक, चित्तचोर श्रीकृष्ण चुरा कर ले गए। अब बिना मन के वह फंदे में फंस गया है। वस्तुत: जिस दिन से प्रिय नन्द किशोर की छवि देख ली है, यह चोर मन बराबर उनकी ओर ही लगा हुआ है।

 

करील के कुंजन ऊपर वारौंसवैया में कवि रसखान की श्रीकृष्ण पर मुग्धता और उनकी एक-एक वस्तु पर ब्रजभूमि पर अपना सर्वस्व क्या तीनों लोक न्योछावर करने की भावमयी उत्कंठा एवं उद्विग्नता के दर्शन होते हैं। रसखान कहते हैं-श्रीकृष्ण जिस लकुटी से गाय चराने जाते हैं

और जो कम्बल ले जाते हैं, अगर मुझे मिल जाए तो मैं तीनों लोको का राज्य छोड़कर उन्हें ही लेकर रम जाऊँ। अगर ये हासिल न हों, केवल नंद बाबा की गौएँ ही चराने को मिल जाएँ तो आठों सिद्धियों और नौ निधियाँ छोड़ दूँ। कवि का श्रीकृष्ण और उनकी त्यागी वस्तुएँ ही प्यारी नहीं हैं वे उनकी क्रीडाभूमि व्रज पर भी मुग्ध है। कहते हैं और-तो और संयोगवश मुझे ब्रज के जंगल और बाग और वहाँ के घाट तथा करील के कुंज जहाँ वे लीला करते थे, उनके ही दर्शन हो जाएँ तो सैकड़ों इन्द्रलोक उन पर न्योछावर कर दूं।रसखान की यह अन्यतम समर्पण-भावना और विदग्धता भक्ति-काव्य की अमूल्य निधियों में है।

 

 

भाषा की बात

 

Q 1. समास-निर्देश करते हुए निम्नलिखित पदों के विग्रह करें

प्रेम-अनि, प्रेमबरन, नंदनंद, प्रेमवाटिक, माली मालिन, साखानि, ‘चिनचोर, मनमानिक, बेमन, नवोनिधि, आठहुँसिद्धि, बमबाग, लिहपुर

 

उत्तर-

प्रेमआयनि प्रेम की आयनि तत्पुरुष समास

प्रेम-बरन प्रेम का वरन तत्पुरुष समास

नंदनंद नंद का है जो नंद कर्मधारय समास

प्रेमवाटिका प्रेम की वाटिका तत्पुरुष समास

माली-मालिन माली और मालिन द्वन्द्व समास

रसखानि रस की खान तत्पुरुष समास

चित्तचोर चित्त है चोर जिसका अर्थात कृष्ण बहुव्रीहि समास

मनमानिक मन है जो मानिक कर्मधारय समास

बेमन बिना मन का अव्ययीभाव समास

नवोनिधि नौ निधियों का समूह द्विगु समास

आठसिद्धि आठों सिद्धियों का समूह द्विगु समास

बनबाग बन और बाग द्वन्द्व समास

तिहपुर तीनों लोकों का समूह द्विगु समास

 

Q 2. निम्नलिखित के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखें

राधिका, नंदनंद, नैन, सर, आँख, कंज, कलधौत

उत्तर-

राधिका कमला, श्री, प्रेम, अयनि।

नदनंद कृष्ण, नंदसुत, नंदतनय।

नैन आँख, लोचन, विलोचन।

सर वाण, सरासर, तीर।

आँख नयन, अश्नि, नेत्रा

कुंग बाग, वाटिका, उपवन।

 

Q 3. कविता से क्रियारूपों का चयन करते हुए उनके मूल रूप को स्पष्ट करें।

उत्तर-

विद्यार्थी शिक्षक के सहयोग से स्वयं करें।

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