पाठ के साथ

 

Q 1. लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो?

उत्तर- लेखक महोदय की पत्नी दिन-रात नौकर-चाकरकी माला जपती थी। उनका साला नौकर को लाकर सामने खड़ा कर दिया था। अब लेखक महोदय के ऊपर एक भारी दायित्व आ गया था कि नौकर के साथ घर में अच्छा बवि हो। नौकर घर के अनुकुल ढल जाया और यहाँ टिक जाय।

 

Q 2. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।

उत्तर – नौकर यानी बहादुर का शरीर चौड़ा और कद छोटा था। गोरा रंग और मुँह चपटा था। वह उजला हाफ पैंट और सफेद कमीज, भूरे रंग का जूता और गले में रूमाल बंधा था।

 

Q 3. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था?

उत्तर – लेखक महोदय के सभी भाई और रिश्तेदार ऊंचे पद पर थे। इसलिए उनलोगों के पास नौकर-चाकर था। जब उनकी बहन के विवाह में सभी रिश्तेदारों का मिलन हुआ तो लेखक महोदय की पत्नी नौकर को देखकर ईर्ष्यालु हो गई। इसके बाद से घर में नौकर रखने के लिए परेशान करने लगी। अब लेखक महोदय को नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया।

 

Q 4. साले साहब से लेखक का कौन-सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा?

उत्तर- लेखक को साले साहब से एक दुखी लड़का का किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा। किस्सा था कि वह एक नेपाली था, जिसका गाँव नेपाल और बिहार की सीमा पर था। उसका बाघ युद्ध में मारा गया था और उसकी माँ सारे परिवार का भरण-पोषण करती थी। माँ उसकी बड़ी गुस्सैल थी और उसको बहुत मारती थी। माँ चाहती थी कि लड़का घर के काम-धाम में हाथ बँटाये, जबकि वह पहाड़ या जंगलों में निकल जाता और पेड़ों पर चढ़कर, चिड़ियों के घोंसलों में हाथ डालकर उनके बच्चे पकड़ता या फल तोड़-तोड़कर खाता। एक बार उसने भैंस की पिटाई की जिसके चलते माँ ने भी उसे खूब पीटा। अत्यधिक पिटाई के चलते लड़के का मन माँ से फट गया। रातभर जंगल में छिपा रहा, सुबह होने पर घर से राह खर्च के लिए चोरी से कुछ रुपया लेकर भाग गया।

 

Q 5. बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था?

उत्तर- बहादुर कभी-कभी पशुओं को चराने के लिए ले जाता था। एक बार उसने अपनी माँ की प्यारी भैंस को बहुत मारा। मार खाने के उपरान्त भैंस उसकी मां के पास पहुंच जाती है। माँ को आभास होता है कि लड़के ने इसको काफी मारा है। माँ ने भैंस की मार का काल्पनिक अनुमान करके एक डंडे से उसकी दुगुनी पिटाई की। लड़के का मन माँ से फट गया और वह पूरी रात जंगल में छिपा रहा। अंततः सुबह में घर पहुंचकर चुपके से कुछ रुपया लिया और घर से भाग गया।

 

Q 6. बहादुर के नाम से दिलशब्द क्यों उड़ा दिया गया ? विचार करें।

उत्तर- प्रथम बार नाम पूछने में बहादुर ने अपना नाम दिलबहादुर बताया। यहां दिल शब्द का अभिप्राय भावात्मक परिवेश में है। उपदेश देने के दरम्यान उसे कहा जा रहा था कि किसी के साथ भावुकता से पेश नहीं होकर दिमाग से अधिक कार्य करना है। सामाजिक तो उदारता से .. दूर रहकर मन और मस्तिष्क से केवल अपने घर के कार्यों में लीन रहने का उपदेश दिया गया। इस प्रकार से निर्मला द्वारा उसके नाम से दिल शब्द उड़ा दिया गया।

 

Q 7. व्याख्या करें

(क) उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़िया बिखर गई हों।

व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के वहादुरशीर्षक कहानी से ली गई हैं। इन पक्तियों का संदर्भ बहादुर से जुड़ा हुआ है। जब लेखक शाम को दफ्तर से घर आते थे तो बहादुर सहज भाव से उनके पास आता था और उन्हें एक बार देखकर सिर झुका लेता था तथा धीरे-धीरे मुस्कुराने लगता था। घर की मामूली-सी घटनाओं को लेखक से सुनाया करता था। कभी कहता-बाबूजी, बहिनजी की सहेली आयीं थीं तो कभी कहता बाबूजी, भैया सिनेमा गया था। इसके बाद वह ऐसी हँसी हँसता था कि लगता था जैसे उसने कोई बहुत बड़ा किस्सा कह दिया हो। उसके निश्छल, निष्कलुष हाव-भाव से प्रभावित होकर ही लेखक ने लिखा है-उसकी हंसी बड़ी कोमल थी और मीठी थी लगता था फूल की पंखड़ियों बिखरी हुई हों।

इस प्रकार उक्त पंक्तियों में लेखक ने बहादुर की निश्छलता, निर्मलता, ईमानदारी और आत्मीय व्यवहार का यथोचित रेखांकन किया है। बहादुर बच्चा था। उसके होठों पर कोमलता और मिठास थी, फूलों के खिलने जैसा उसकी खिलखिलाहट थी। इस प्रकार उक्त पंक्तियों में लेखक ने बहादुर के कोमल भावों व्यवहारों, ईमानदारी, आत्मीय । संबंधों का सटीक वर्णन किया है।

 

(ख) पर अब बहादुर से भूल-गलतियों अधिक होने लगी थीं।

व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के बहादुरकहानी. पाठ से ली गयी हैं। इसका संदर्भ बहादुर से जुड़ा हुआ है।

बहादुर को लेखक का पुत्र किशोर बराबर पीट करता था। कुछ दिन बीतने पर लेखक की पत्नी भी बहादुर को मारने-डाँटने लगी थी। लेखक को ऐसा विश्वास था कि हो सकता है घर में मार खाने, गाली-सुनने के कारण बहादुर दुखी होकर रहने लगा था और इसी कारण उससे कई भूलें हो जाती होंगी। ऐसी स्थितियों को लेखक कभी-कभी रोकना चाहते थे। लेकिन बाद में चुप हो जाया करते थे क्योंकि उनके विचार में नौकर-चाकर तो मार-पीट खाते ही रहते हैं, ऐसा ही भाव था।

इस कारण वे भी बहादुर की मदद नहीं कर पाते थे और बहादुर दीन-हीन रूप में, असहाय बनकर लेखक की पत्नी और पुत्र से डाँट-मारपीट खाता तो और सहता था।

इन पंक्तियों का मूल आशय यह है कि लेखक की मानसिकता भी दो तरह की थी। वे भी सबल. की आलोचना नहीं कर पाते हैं। गरीबों के प्रति नौकर के प्रति उनका भी भाव दोयम दर्जे का था। इसी कारण बहादुर की मानसिक स्थिति संतुलित नहीं रह पाती थी।

 

(ग) अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष होता।

व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के बहादुरकहानी पाठ से ली गयी हैं। इन . पंक्तियों का संबंध उस काल से है जब बहादुर चोरी के इल्जाम और मारपीट, गाली-गलौज से तंग आ चुका था। अचानक सिल उठाते वक्त वह गिर गया और दो टुकड़ा हो। अब क्या था बहादुर घर छोड़कर भाग गया। उसे खोजने के लिए लेखक के लड़के किशोर ने शहर का कोना-कोना छान डाला लेकिन बहादुर का कहीं अता-पता नहीं था।

वह बहादुर के लिए बहुत दुःखी था। वह उसके सुख-दुख को याद कर माँ से कह रहा था-माँ, अगर वह मिल जाता तो मैं उससे माफी मांग लेता किन्तु अब उसे नहीं मारता-पीटता, गालियाँ नहीं देता। उसने हमलोगों को बहुत सुख दिया। बहुत सेवा की। गलती हम लोगों से ही हुई। माँ अगर वह कुछ चुराकर भी ले गया होता तो हमलोगों को संतोष होता। लेकिन वह तो हमलोगों का क्या अपना भी सब सामान छोड़ गया।

इन पंक्तियों से यही आशय निकलता है कि आदमी को सद्व्यवहार करना चाहिए। दुर्व्यवहार के कारण कष्ट भोगना पड़ता है।

 

(घ) यदि मैं न मारता, तो शायद वह न जाता।

व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के बहादुरकहानी पाठ से ली गयी हैं। यह पंक्ति बहादुर से संबंधित है।

लेखक बहादुर के भाग जाने पर अफसोस करता है और कहता है कि अगर मैं, उसे नहीं मारता तो वह भागता नहीं, ऐसा मेरा विश्वास है। लेखक को अपने आप पर, अपने द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार पर खेद होता है।

जब निर्मला बहादुर के लिए रोने लगती है तब ये वाक्य लेखक उसी समय चारपाई पर बैठकर सिर झुकाकर कह रहे हैं। लेखक इस घटना पर रोना चाहता है किन्तु भीतर ही भीतर छटपटा कर रह जाता है। एक छोटी-सी भूल जीवन में कितना दुख दे जाती है-अब लेखक को समझ में बात आती है। वह पहले से सचेत रहता तो ऐसी घटना कभी नहीं घंटती।

इन पंक्तियों का आशय यह है कि आदमी के साथ सद्व्यवहार होना चाहिए। संदेह के बीज बड़े भयानक होते हैं। उनका प्रतिफल भी कष्टदायक होता है। आज बहादुर के साथ दुर्व्यवहार मारपीट चाहे गाली-गलौज नहीं किया जाता संदेह के आधार पर चोर नहीं ठहराया जाता तो वह नहीं भागता। अतः, संदेह और दुर्व्यवहार से इन्सान को बचना चाहिए।

 

Q 8. काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गये बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है?चित्र का आशय स्पष्ट करें?

उत्तर- निर्मला ने बहादुर को एक फटी-पुरानी दरी दे दी थी। घर से वह एक चादर भी ले आया था। रात को काम-धाम करने के बाद वह भीतर के बरामदे में एक टूटी हुई बसखट पर अपना बिस्तर बिछाता था। वह बिस्तरे पर बैठ जाता और अपनी जेब में से कपड़े की एक गोल-सी नेपाली टोपी निकालकर पहन लेता, जो बाईं ओर काफी झुकी रहती थी। फिर वह छोटा-सा आइना निकालकर बन्दर की तरह उसमें अपना मुँह देखता था। वह बहुत ही प्रसन्न नजर आता था।

इसके बाद कुछ और भी चीजें जेब से निकालकर बिस्तर पर खेलता था। गीत गाता था। पुरानी स्मृतियों में खो जाता था। इससे उसके बाल मन की स्वाभाविकता की झलक मिलती है। उसके अंत:करण में निहित विरह का भाव गीत में मुखरित होता था। इसके माध्यम से लेखक ने बालसुलभ मनोदशा, स्वच्छंदता के आनंद की स्मृति का चित्रण किया है।

 

Q 9. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा?

उत्तर- बहादुर के आने से घर के सदस्यों को आराम मिल रहा था। घर खूब साफ और चिकना रहता। सभी कपड़े चमाचम सफेद दिखाई देते। निर्मला की तबीयत काफी सुधर गई। अब परिवार का कोई सदस्य एक भी काम स्वयं नहीं करता है। सभी बहादुर को आवाज देकर काम बताता था और उस कार्य को वह पूरा करता था। सभी रात में पहले ही सो जाते और सबेरे आठ, बजे से पहले न उठते थे।

 

Q 10. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?

उत्तर- लेखक के घर में प्रारंभ में बहादुर को अच्छा से रखा गया। धीरे-धीरे लेखक का लड़का उस पर दबाव डालकर काम करवाने लगा। कुछ समय पश्चात् पत्नी एवं पुत्र दोनों उसकी पिटाई बात-बात पर कर देते थे। एक रिश्तेदार लेखक के घर पर एक दिन आया और रुपये खो जाने की बात कहते हुए बहादुर पर चोरी का आरोप मढ़ दिया। उस दिन लेखक ने बहादुर की पिटाई कर दी। बार-बार प्रताड़ित होने से एवं मार खाने के कारण एक दिन अचानक बहादुर भाग गया।

 

Q 11. बहादुर पर चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है ?

उत्तर- प्रायः ऐसा देखा जाता है कि लोग घर के नौकर को हेय दृष्टि से देखते हैं। किसी मामले में उसे दोषी मान लेना आसान लगता है। रिश्तेदार ने सोचा कि नौकर पर आरोप लगाने से लोगों को लगेगा कि ऐसा हो सकता है। बहादुर इस आरोप से बहुत दुःखी होता है। उसके अंतरात्मा पर गहरी चोट लगती है। उस दिन से वह उदास रहने लगता है। उस घटना के बाद से उसे अधिक फटकार का सामना करना पड़ता है। उसे काम में मन नहीं लगता है।

 

Q 12. घर आये रिश्तेदारों ने कैसा प्रपंच रचा और उसका क्या परिणाम निकला?.

उत्तर- लेखक के घर आए रिश्तेदारों ने अपनी झूठी प्रतिष्ठा कायम करने के लिए रुपया-चोरी का प्रपंच रचा। उनका कहना था कि मैं बच्चों के लिए मिठाई नहीं ला सका इसलिए मिठाई मंगाने के लिए कुछ रुपया निकालकर यहाँ रखा था। लेकिन बाद में हमलोग उलझे हुए रहे इसी दरम्यान रुपये की चोरी हो गई। उन्होंने बहादुर पर इस चोरी का दोषारोपण किया। इस आरोप से बहादुर को पिटाई लगी।

उस दिन से लोग उसे हर हमेशा फटकार लगाने लगे। वह उदास और अन्यमनस्क रूपं से रहकर काम करता था। अंतत: घर से अचानक चला गया। रिश्तेदार के प्रपंच के चलते लेखक के घर का काम करने वाले बहादुर के जाने की घटना घटी और घर अस्त-व्यस्त हो गया।

 

Q 13. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है?

उत्तर- बहादुर घर के सभी कार्य को कुशलतापूर्वक करता था। घर के सभी सदस्य को आराम मिलता था। किसी भी कार्य हेतु हर सदस्य बहादुर को पुकारते रहते थे। वह घर के कार्य से सभी को मुक्त रखता था। साथ रहते-रहते सबसे हिलमिल गया था। डॉट-फटकार के बावजूद काम . करते रहता था। यही सब कारणों से उसके चले जाने पर सबको पछतावा होता है।

 

Q 14. बहादुर, किशोर, निर्मला और कथावाचक का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर-

बहादुर –बहादुर लेखक महोदय का नौकर था। वह एक नेपाली था। उसके पिता का देहावसान युद्ध में हो गया था। माता जी घर चलाती थीं। एक दिन माँ ने बहादुर को बहुत मारा। बहादुर घर छोड़कर भाग गया। और लेखक महोदय के यहाँ नौकरी करने लगा।

किशोर – किशोर लेखक महोदय का लड़का था। जो अपना सारा काम बहादुर से ही करवाता था। धीरे-धीरे बहादुर पर हाथ भी छोड़ने लगा। बहादुर को घर छोड़कर भागने में किशोर का वर्ताव अधिक कारगर हुआ।

निर्मला निर्मला लेखक महोदय की पत्नी थी। जिसे नौकर रखने का बहुत शौक था। पहले-पहल बहादुर के आने पर काफी लाड़-प्यार दिया। लेकिन धीरे-धीरे व्यवहार बदलने लगा। यहाँ तक की उसे मारने भी लगी। परिणाम हुआ बहादुर भाग गया। बहादुर के भाग जाने पर काफी विलाप की।

कथावाचक कथावाचक लेखक महोदय का साला है। जो बहादुर के बारे में पूरी कहानी असाधारण विस्तार सुनाता है। बहादुर को लेकर कथावाचक ही आता है। वह अपनी बहन की नौकर रखने की इच्छा को पूरा करता है।

 

Q 15. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ।

उत्तर- निर्मला एक भावुक महिला थी। बहादुर के रहने से उसे बहुत आराम मिला था। लेकिन लेखक का रिश्तेदार जब उनके घर में आया तब उसने रुपया चोरी का प्रपंच रचा जिसका शिकार बहादुर को बनाया। निर्मला को बहादुर पर गुस्सा आया और उसे पीट दिया। उसके बाद से कई बार उसे फटकारते रहती थी। अंत में जब रिश्तेदार की सच्चाई का आभास हुआ और यह बात समझ में आ गई कि बहादुर निर्दोष था और उसने रुपये की चोरी नहीं की थी तब उसे पश्चाताप हुआ। वह यह सोचकर अफसोस कर रही थी कि वह बिना बताये क्यों चला गया। वह अपने साथ कुछ लेकर भी नहीं गया था।

उसकी कर्मठता, ईमानदारी को याद करके निर्मला ने अपने द्वारा किये गये व्यवहार के लिए अफसोस किया।

 

Q 16. कहानी छोटा मुंह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से बहादुरकहानी पर विचार करें

उत्तर- बहादुर कहानी में सबसे बड़ी बात होती है कि एक दिन बहादुर बिना कुछ कहे और बिना सामान लिये भाग गया। यह घटना तो छोटी थी लेकिन बहुत बड़ी-बड़ी बात कह गई। सभी को अपने व्यवहार पर पछतावा होने लगा। हर आदमी अपने-आप को नीचा अनुभव करने लगा। किशोर बहादुर के मिलने पर उससे माफी मांगने को भी तैयार था।

 

Q 17. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। लेखक ने इसका शीर्षक नौकरक्यों नहीं रखा?

उत्तर- प्रस्तुत कहानी में एक बालक का चित्रण किया गया है। बालक जो लेखक के घर में नौकर का काम करता है कहानी का मुख्य पात्र है। इसमें बहादुर नौकरी करने के पूर्व स्वच्छंद में था। वह माँ से मार खाने के बाद घर से भाग गया था। उसके बाद लेखक के घर काम करने के लिए रखा जाता है। यहाँ उसके नौकर के रूप में चित्रण के साथ-साथ उसके बाल-सुलभ मनोभाव का चित्रण भी किया गया है। ईमानदार, कर्मठ एवं सहनशील बालक के रूप में चित्रित है। प्रताड़ना, झूठा आरोप उसे पसंद नहीं था।

अंतत: फिर वह भागकर स्वछंदु हो जाता है। साथ ही लेखक के पूरे परिवार पर अपने अच्छे छवि का चित्र अंकित कर जाता है ऐसे में बहादुर ही इसका नायक कहा जा सकता है। इस कहानी के केन्द्र में बहादुर है। अत: यह शीर्षक सार्थक है। इसमें बालक को केवल नौकर की भूमिका में नहीं रखा गया है बल्कि उसमें विद्यमान अन्य गुणों की चर्चा की गई है। इसलिए नौकर शीर्षक नहीं रखा गया।

 

Q 18. कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर- उत्तर के लिए कहानी का सारांश देखें।

 

भाषा की बात

 

Q 1. निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट करें

उत्तर-

मारते-मारते मुँह रंग देना- (बहुत मार मारना) निर्मला नौकर को मारते-मारते मुँह रंग दिया।

हुलिया टाइट करना- (बुरा हाल करना) किशोर नौकर को इतना मारता कि हुलिया टाइट हो जाता।

हाथ खुलना- (मारने की आदत होना) आजकल निर्मला का हाथ भी नौकर पर खुलने लगा है।

मजे में होना- (खशी में होना) दिन मजे में बीतने लगे।

बातों की जलेबी छनना– (लंबी-चौडी बातें होना) मोहन अपने दोस्तों के बीच बातों की जलेबी छानता है।

कहीं का न रहना- (बरे फंसना) बहादुर के भाग जाने पर निर्मला कहीं का न रही।

नौ दो ग्यारह होना- (भाग जाना) मौका मिलते ही नौकर नौ दो ग्यारह हो गया।

खाली हाथ जाना- (साथ में कुछ नहीं ले जाना) सोहन घर जाते वक्त खाली हाथ चला गया।

बुरे फंसना-(संकट में फंसना) यात्रा के बीच में बस खराब होने जाने से मैं बुरा फंस गया।

पेट में लबी दाढ़ी-(धूर्तता करना) मोहन के बातों पर मत जाओ उसके पेट में लंबी दाढ़ी है।

चहल-पहल मचना- (खशी होना) मामा जी के आते ही घर में चहल-पहल मच गया।

 

Q 2. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग करते हुए लिंग-निर्देश करें

उत्तर-

रूमाल रूमाल छोटा है।

ओहदा ओहदा बड़ा है।

भरण पोषण वह अपने बेटा का भरण-पोषण ठीक से नहीं करता है।

इज्जत मेरे घर में नौकर को भी इज्जत से रखा जाता है।

झनझनाहट उसके स्वर में एक मीठी झनझनाहट थी।

फरमाइश बहादुर सबका फरमाइश पूरा करता था।

छेडखानी छेड़खानी करना अच्छा नहीं है।

पुलई वह पेड़ की पुलई पर नजर आता है।

फिक्र फिक्र मत करो। चादर चादर परानी है।

 

Q 3. निम्नलिखित वाक्यों की बनावटें बदलें-

(क) सहसा मैं काफी गंभीर हो गया था, जैसा की उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। .

उत्तर- सहसा भारी दायित्व आने के कारण मैं उस व्यक्ति की तरह गंभीर हो गया था।

 

(ख) माँ उसकी बड़ी गुस्सैल थी और उसको बहुत मारती थी।

उत्तर- माँ उसकी बड़ी गुस्सैल थी इसलिए उसको बहुत मारती थी।

 

(ग) मार खाकर भैंसं मागी-मागी उसकी मां के पास चली गई, जो कुछ दूरी पर एक खेत में काम कर रही थी।

उत्तर- मार खाकर मैंस भागी-भागी उसकी माँ के पास चली गई। वह कुछ दूरी पर एक खेत में काम कर रही थी।

 

(घ) मैं उससे बातचीत करना चाहता था, पर ऐसी इच्छा रहते हुए भी मैं जानबूझकर गंभीर हो जाता था और दूसरी ओर देखने लगता था।

उत्तर- मैं उससे बातचीत करना चाहता लेकिन ऐसी इच्छा रहते हुए भी जानबूझकर गंभीर होकर दूसरी ओर देखने लगता था।

 

(ङ) मिला कमी-कभी उससे पूछती की बहादुर, तुमको अपनी मं की याद आती है।

उत्तर- निर्मला कभी-कभी उससे पूछती थी कि बहादुर तुमको अपनी माँ की याद आती है।

 

Q 4. अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों के प्रकार बताएँ

(क) वह मारता क्यों था।

(ख) वह कुछ देर तक उससे खेलता था।

(ग) दिन मजे में बीतने लगे।

(घ) इसी तरह की फरमाइशें।

(ङ) देख-बे मेरा काम सबसे पहले होना चाहिए।

(च) रास्ते में कोई ढंग की दुकान नहीं मिली थी, नहीं तो उधर से ही लाती।

उत्तर-

(क) प्रश्नवाचक वाक्य।

(ख) विधानवाचक वाक्य।

(ग) विधानवाचक वाक्य।

(घ) विधानवाचक वाक्य।

(ङ) आज्ञार्थक वाक्य।

(च) संकेतवाचक वाक्य।

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